गोरखपुर : रामगढ़ताल पुलिस की पिटाई से हुई कानपुर के व्यापारी की मौत के मामले में मंगलवार की देर शाम मृतक मनीष गुप्ता का पोस्टमार्टम हो गया। परिवार के लोगों ने लाश लेने और अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया। परिजनों की मांग है कि जब तक दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ केस नहीं दर्ज किया जाएगा, वे मृतक का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। वहीं, मौके पर मौजूद एसपी साउथ और सीओ को मृतक की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने लिखित तहरीर दे दी है, लेकिन पुलिस केस दर्ज करने से इंकार कर रही है। पुलिस बीआरडी मेडिकल कॉलेज स्थित पोस्टमार्टम हाउस पर समझाने की कोशिश कर रही है।
इंस्पेक्टर रामगढ़ताल जेएन सिंह, चौकी इंचार्ज फलमंडी अक्षय मिश्रा सहित 6 पुलिस वालों के खिलाफ नामजद तहरीर दी है। इंस्पेक्टर, 3 दरोगा और 2 सिपाही नामजद।
उधर, परिजनों की मांग है कि बिना केस दर्ज हुए वह मनीष का शव नहीं लेंगे और न ही अंतिम संस्कार करेंगे। जबकि पुलिस दबाव देकर देर रात अंतिम संस्कार कराने की तैयारी में जुटी हुई है। मृतक की पत्नी ने पुलिस को दी गई तहरीर में 6 पुलिस कर्मियों को हत्या का दोषी ठहराते हुए नामजद किया है। इनमें इंस्पेक्टर रामगढ़ताल जेएन सिंह, चौकी इंचार्ज फलमंडी अक्षय मिश्रा, सब इंस्पेक्टर विजय यादव, सब इंस्पेक्टर राहुल दूबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव, कांस्टेबल प्रशांत कुमार शामिल हैं।
इंस्पेक्टर पर तीसरी बार लगा है पीटकर मारने का आरोप
रामगढ़ताल पुलिस पर किसी को पीटकर मार डालने का आरोप कोई नई बात नहीं है, बल्कि इससे पहले भी कई बार ऐसे आरोप लगते रहे हैं। 13 अगस्त को भी रामगढ़ताल पुलिस पर 20 वर्षीय गौतम सिंह सिंह की पुलिस कस्टडी में संदिग्ध मौत हुई थी। हालांकि बाद में पुलिस ने में केस दर्ज किया कि गायघाट बुजुर्ग में प्रमिका से मिलने गए युवक की लड़की के परिवार वालों ने पीटकर हत्या कर दी, जबकि परिजनों का आरोप था कि युवक की मौत पुलिस की पिटाई से हुई है।
इसी तरह से बांसगांव इंस्पेक्टर रहने के दौरान 7 नवंबर 2020 को भी जेएन सिंह पर गंभीर आरोप लगे थे। बांसगांव थाने में विशुनपुर निवासी मुन्ना प्रसाद के बेटे शुभम उर्फ सोनू कुमार के खिलाफ हत्या के प्रयास का केस दर्ज था। पुलिस ने उसे बीते 11 अक्तूबर 2020 को डिघवा तिराहे से गिरफ्तार कर लिया और जेल भिजवा दिया। 7 नवंबर को जेल में उसकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस की पिटाई से शुभम की मौत का आरोप लगा था। तत्कालीन चौकी इंचार्ज को सस्पेंड किया गया था। मंगलवार को यह तीसरा मामला सामने आया है।
*होटल में ठहरने वालों को पहले भी टागरेट कर चुकी है पुलिस*
रामगढ़ताल पुलिस अपने कारनामों को लेकर पहले भी चर्चा में रही है। 11 जुलाई को 8 बदमाशों को गायघाट लहसड़ी फोरलेन अंडर पास से पुलिस की टीम ने दबोचा था। पुलिस का दावा था कि यह गैंग शहर में डकैती की बड़ी योजना बना रहे थे। बदमाशों ने पुलिस पर फायरिंग भी की, लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि बदमाशों के पास से पुलिस ने बरामद कुछ भी नहीं किया था। जबकि गिरफ्तारी के बाद आरोपितों ने खुद दावा किया था कि वह शहर के एक होटल में ठहरे थे और वे गोरखपुर किसी से मिलने आए आए थे। पकड़े गए बदमाशों में अधिकांश गांधीनगर गुजरात के थे।
*जिस पर नहीं थे एक भी केस, उसे मुठभेड़ में मारी थी गोली*
21 अगस्त को क्राइम ब्रांच और रामगढ़ ताल थाने की पुलिस ने एक बदमाश सिकंदर को मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने गोली मारी थी। पुलिस का दावा था कि सिकंदर ने ही 16 अगस्त की दोपहर में कैश मैनेजमेंट सिस्टम के कर्मचारी नवनीत मिश्रा की आंखों मे मिर्च पाउडर झोंक कर 5.28 लाख रुपये लूट की थी।
पुलिस ने उसके पास से लूट के 1.50 लाख रुपये, घटना में इस्तेमाल बाइक और 315 बोर का एक तमंचा बरामद किया था। जबकि इस घटना के 4 दिन पहले ही यह बात सामने आ चुकी थी कि पुलिस ने एक मुखबिर को थाने में बैठा रखा रखा है। खास बात यह है कि मुठभेड़ के बाद ही सिकंदर पर पहला केस भी दर्ज हुआ। इससे पहले उसका किसी तरह का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं था।
*एनकाउंटर कर सिपाही से इंस्पेक्टर बने जेएन सिंह*
वहीं, रामगढ़ताल इंस्पेक्टर जेएन सिंह एनकाउंटर के शौकीन हैं। गोरखपुर जिले में कार्यकाल के दौरान उन्होंने यहां अब तक चार बदमाशों के पैर में गोली मारी है। सिकंदर को गोली मारने से पहले उन्होंने रामगढ़ताल में ही अमित हरिजन को गोली मारकर गिरफ्तार किया था। जबकि बांसगांव इंस्पेक्टर रहते हुए शातिर बदमाश राधे यादव और झंगहा इंस्पेक्टर रहते हुए हरिओम कश्यप को भी पैर में गोली मारी थी। पुलिस विभाग के जुड़े जानकारों के मुताबिक इंस्पेक्टर जेएन सिंह अपने एनकाउंटर की बदौलत ही सिपाही से आउट आफ टर्न प्रमोशन पाकर इंस्पेक्टर की कुर्सी तक पहुंचे हैं। एसटीएफ में रहने के दौरान भी उन्होंने करीब 9 बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराया है।
*सवालों के घेरे में SSP का वीडियो बयान*
वहीं, इस घटना के बाद जिले के पुलिस कप्तान का बयान भी सवालों के घेरे में खड़ा हो गया है। वीडियो संदेश जारिए जारी किए गए बयान में पुलिस कप्तान ने मनीष की पुलिस देखकर डरकर गिरने से मौत होने की बात कही है। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि अगर पुलिस चेकिंग करने गई भी थी कि तो आखिर रात के 12.30 बजे पुलिस चेकिंग कैसे कर सकती है। जबकि होटल प्रबंधक का दावा है कि युवक की पिटाई और उसे खून से लथपथ हालत में पुलिस द्वारा घसीटकर बाहर लाने का फुटेज होटल में लगे सीसीटीवी में कैद है। इसके अलावा वाहन और मास्क चेकिंग के समय भी पुलिस वीडियो जरूर बनाती है, तो फिर अगर पुलिस ने पिटाई नहीं की तो अब तक इस छापेमारी का वीडियो क्यों नहीं जारी किया है।